स्पष्टीकरणकोश

सामान्य

द्विभाषी शिविर ऐसे शिविर है जो दो भाषाओंमें सिखायें जाते है. सभी साधक दैनंदिन साधना की सुचनाएँ दो भाषाओंमें सुनेंगे. श्यामके प्रवचन अलग से सुनाये जायेंगे.

पुराने साधक याने वो, जिन्होनें स. ना. गोयन्काजी अथवा उनके सहायक आचार्यों के साथ किमान एक १०-दिवसीय शिविर पूर्ण किया है.

पूराने साधकों को नीचे दिये गए शिविरों में धम्मसेवा का अवसर प्राप्त हो सकता है.

सभी शिविर पूर्णतया दान के आधारपर चलते है. सभी खर्च उनके दानसे पूर्ण होते है, जो शिविर पूर्ण करके विपश्यना का लाभ अनुभव करनेपर दूसरोंको यही मौका देना चाहते है. आचार्य अथवा सहायक आचार्य कोई मुहफ्जा नहीं पाते; वह तथा शिविर में सेवा देनेवाले सेवक अपना समय स्वेच्छापूर्ण रूपसे देते है. इस प्रकार विपश्यना व्यावसायिकरण से मुक्त रूप में दी जाती है.

ध्यान शिविर दोनों केंद्र और गैर - केंद्र स्थानों पर आयोजित किया जाता हैं. ध्यान केंद्र शिविरों को साल भर नियमित रूप से आयोजित करने में समर्पित हैं. इस परंपरा में ध्यान केंद्र स्थापित करने से पहले सभी शिविर कैंप, धार्मिक स्थान, चर्च और इस तरह के रूप में अस्थायी जगहोमें आयोजित किये गये. आज, जहां विपश्यना क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय साधकों द्वारा केंद्र अभी तक स्थापित नहीं किया गया है, ऐसे क्षेत्रों में १० दिन ध्यान शिविर गैर-केंद्र शिविर स्थलों पर आयोजित किया जाता हैं.


शिविर का प्रकार

पुराने साधकों के संक्षिप्त शिविर (१ - ३ दिवसीय) उन सभी साधकोंके लिए है जिन्होंने स. ना. गोयन्काजी अथवा उनके सहायक आचार्योंके साथ १०-दिवसीय शिविर पूर्ण किया है. शिविर में उपस्थित रहने के लिए सभी पुराने साधकों के आवेदन का स्वागत है. इनमें यह पुराने साधक भी शामिल है, जिनको पिछला शिविर करके कुछ समय हुआ है.

१० दिवसीय शिविर विपश्यना साधना के परिचयात्मक शिविर है, जिनमें यह तकनीक हर दिन क्रमशः सिखायी जाती है. यह शिविर श्यामके २ - ४ बजे पंजीकरण और निर्देश के बाद शुरू होती है. उसके बाद १० पूर्ण दिन साधना होती है. शिविर ११वे दिन सुबह ७.३० बजे समाप्त होते है.

अधिकारियों के लिए १० दिवसीय शिविर खास तौर से कार्यकारी और प्रशासकीय अधिकारीयों के लिए विपश्यना साधना के परिचयात्मक शिविर है, जिनमें यह साधना हर दिन क्रमशः सिखायी जाती है. अधिक जानकारी के लिए कृपया अधिकारियोंके शिविर की वेबसाइट. देखें. यह शिविर श्याम के २ - ४ बजे पंजीकरण और निर्देश के बाद शुरू होती है. उसके बाद १० पूर्ण दिन साधना होती है. शिविर ११वे दिन सुबह ७.३० बजे समाप्त होते है.

 पुराने साधकोंके 10-दिवसीय शिविर के लिये १०-दिवसीय शिविर जैसेही समयसारिणी और आचारसंहिता है। कमसे कम तीन १० दिवसीय शिविर और एक सतिपठ्ठान सुत्त शिविर किया है और पिछले १० दिवसिय शिविरके बाद विपश्यनाके सिवा और कोइभी अन्य साधना न करता हो और एक सालभर विपश्यनेका अभ्यास करते हुए दैनंदीन अभ्यास करता हो और पाचशीलोंका दैनिक जीवन मे पालन करता हो, ऐसेही गंभीर पुराने साधकोंके लिये यह शिविर है.

विशेष १० दिवसीय शिविर केवल गंभीर पुराने और इस साधनामें प्रतिबद्ध साधकों के लिए है, जिन्होनें कम से कम ५ दस दिवसीय शिविर और एक सतिपट्ठान सुत्त शिविर किया है; कम से कम एक १० दिवसीय धम्मसेवा दी है और किमान २ सालसे नियमित रूपसे साधना का अभ्यास कर रहे हैं.

१४ दिवसीय कृतज्ञता शिविर जिसे पहले आचार्य स्वयं शिविर के नाम से जाना जाता था।  ध्यान से जिन गुणों का विकास होता है उसमें से एक महत्वपूर्ण गुण है कृतज्ञता - अपने आचार्य श्री गोयन्का जी व माताजी और बुद्ध तक जाने वाली इस परंपरा के प्रत्येक आचार्य के प्रति कृतज्ञता। यह शिविर उन सभी पुराने साधकों के लिए खुला है जो सक्रिय रूप से सेवा दे रहे हैं।  शिविर की योग्यता के लिए ३ दस दिवसीय शिविर व १ सतिपट्ठान शिविर के साथ साथ सेवा में सक्रियता, जहां तक हो सके रोज़ की दो घंटे की साधना (पिछले दस दिवसीय शिविर के बाद से) और अपनी क्षमता के अनुसार पंचशील का पालन जरूरी है । शिविर का प्रारूप सामान्य दस दिवसीय शिविरों की तरह ही है जहां तीन सामूहिक साधनाएँ और उसके बाद सूचनाएँ दी जाती हैं पर साधक अधिक स्वतंत्र रूप से काम करते हैं और प्रशिक्षण सामग्री २० दिवसीय शिविरों से ली गयी है। यह साधकों के दीर्घ शिविरों तक पहुंचने के रास्ते पर एक बीच का पड़ाव है और साधकों को धर्म में गहराई से उतरने के लिए प्रोत्साहित करता है।

२० दिवसीय शिविर केवल गंभीर पुराने और इस साधना में प्रतिबद्ध साधकों के लिए है, जिन्होनें कम से कम ५ दस दिवसीय शिविर और एक सतिपट्ठान सुत्त शिविर किया है; कम से कम एक १० दिवसीय धम्मसेवा दी है और किमान २ सालसे नियमित रूपसे साधना का अभ्यास कर रहें हैं.

३० दिवसीय शिविर केवल गंभीर पुराने और इस साधना में प्रतिबद्ध साधकों के लिए है, जिन्होनें कम से कम ६ दस दिवसीय शिविर (२० दिवसीय शिविर के बाद एक), एक २० दिवसीय शिविर और एक सतिपट्ठान सुत्त शिविर किया है; और किमान २ साल से नियमित रूपसे साधना का अभ्यास कर रहे हैं.

४५ दिवसीय शिविर केवल धम्मसेवा में जुड़े साधकों के लिए और सहायक आचार्यों के लिए है, जिन्होंने कम से कम ७ दस दिवसीय शिविर (३० दिव्सीय शिविर के बाद एक), दो ३० दिवसीय शिविर और एक सतिपट्ठान सुत्त शिविर किया है; और किमान ३ सालसे नियमित रूप से साधना का अभ्यास कर रहे हैं.

६० दिवसीय शिविर केवल धम्मसेवा में जुड़ें साधकों के लिए और सहायक आचार्यों के लिए है, जिन्होंने कम से कम दो ४५ दिवसीय शिविर किये है; और किमान ५ साल से दैनिक साधना का अभ्यास (दिनमें २ घंटे) कर रहे हैं; जीवहत्या से विरत है; अब्रम्हचर्य से विरत है; नशे के सेवन से विरत है; और बाकी शीलोंका पालन अपनी क्षमतानुसार किमान १ सालसे कर रहे हैं तथा पिछले दीर्घ शिविर के बाद ६ महि्ने का अन्तराल हुआ है; दीर्घ शिविर और अन्य किसी शिविरमें १० दिनका अन्तराल हुआ है. यह शिविर केवल सहायक आचार्य और धम्मसेवामें गहराई से संलिप्त साधकों के लिए ही है.

बच्चोंके शिविर ८ - १२ सालके सभी बच्चोंके लिये खुले है, जो साधना सिखना चाहतें हैं. उनके माता-पिता / पालक साधक होना जरूरी नहीं हैं.

पुराने साधकों के कार्यक्रमसेवा कालावधि जैसे होते है, जिनमें केंद्रकी देखभाल, निर्माण, घरेलु और बागबानी जैसे विविध किंतु अधिक पूर्ण और संरचित कार्यक्रम रहतें है. इनमें सहायक आचार्यों को मिलने की संधी प्राप्त होती है, और समिति तथा विश्वस्त बैठकों को उपस्थित रहनेकी संभावना होती है. भाग लेने के लिए सभी पुराने साधकों का स्वागत है. दैनिक कार्यक्रम में ३ सामुहिक साधना और सुबह - दोपहर को कामकाज का कालावधि संमिलित रहेगा. श्यामको विशेष प्रवचन लगाए जाएगें जो स. ना. गोयंकाजी ने पुराने साधकों के लिए दिये हैं.

खुले दिन साधना शिविरोंके बीच मे रहते है. इस समय विपश्यना साधना और केन्द्रकी जानकारीकेलिये आप सबका स्वागत है.

सतिपठ्ठान सुत्त शिविर के लिये १० दिवसिय शिविर जैसी ही समय-सारिणी और अनुशासन-संहिता होती है. इनमें यह अंतर है की टैंप किये हुए श्यामके प्रवचनो में सतिपठ्ठान सुत्तका गौर से अभ्यास किया जाता है. यह प्रमुख पाठ है जिसमें विपश्यनाकी तकनीक सुव्यवस्थित रूप से समझायी गयी है. यह शिविर उन पुराने साधकों के लिए खुले हैं जिन्होने कम से कम तीन १०-दिवसीय शिविर पूरें किये है, पिछले १०-दिवसीय शिविर के बाद अन्य कोई साधना पद्धती का अभ्यास नही किया है, विपश्यना की तकनीक का कम से कम १ साल अभ्यास किया है और जो दैनंदिन जीवन में पंचशील का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं.

पुराने साधकोंके स्वयं-शिविर के लिये १० दिवसीय शिविर जैसी ही समय-सारिणी और अनुशासन-संहिता होती है. इन में यह अंतर है की कोई आचार्य उपस्थित नहीं रहतें. यह शिविर पुराने गंभीर साधकों के लिए खुले है जिन्होनें कम से कम ३ दस-दिवसीय शिविर किये है, पिछले शिविर के बाद अन्य कोई साधनापद्धती का अभ्यास नहीं कर रहे हैं, विपश्यना की तकनीकका किमान १ सालसे अभ्यास कर रहे हैं और जो दैनंदिन जीवन में पंचशील का पालन करने की कोशिश कर रहें हैं.

 केंद्र की देखभाल, निर्माण, घरेलु और बागबानी जैसे विविध कार्यक्रमों के लिए सेवा कालावधि अलग किया हैं. सभी पुराने साधकों का भाग लेने के लिए स्वागत है. दैनिक कार्यक्रम में ३ सामुहिक साधना और सुबह - दोपहर का कामकाज का कालावधि संमिलित रहेगा. चुनिंदा श्यामों को टैंप किये हुए विशेष प्रवचन लगाये जायेंगें जो स. ना. गोयंकाजी ने पुराने साधकों के लिए दिये हैं.

किशोरों के आनापान शिविर १३ सालसे १८ साल के उम्रके युवकों के लिए खुले है. उनके माता-पिता / पालक विपश्यना साधक होना जरूरी नहीं हैं.